माया सिद्धि प्राप्ति

माया करना एक अद्भूत विद्या है।ए विद्या का जिक्र रामयण से लेकर महाभारत काल तक हमरे ग्रंथ मेँ वर्णन मिलता है।महाभारत मेँ माया से मायामहल निमार्ण का एक कहानी है।माया विद्या से कुछ भी किया जा साकता है,रुप परिवर्तन कर लेना,शरीर का आकार विशाल कर लेना,रेगिस्थान मेँ तालाब सुष्टि कर लेना ,अदुश्य हो जाना,अकाश मेँ विचरण करना और जल पर चलना,या जल के अंदर घंटो घंटो रहना,ए सब माया विद्या के अंतर्गत आता है।माया से किसी को भी भ्रमित् किया साकता है।जाहा पर कुछ ना हो वाहा पर कुछ भी देखाया जा साकता है,जेसे बन,फल या बहुत से पशु पक्षी ।देवी,देवता या असुर हो इस विद्या मेँ खूब महीर थे।अपनी जीवन का भी रक्षा अति असानी से भी किया साकता है,अपने शत्रु को भूत प्रेत का भ्रम देखा कर उसका घर बेचने को बेबस किया जा साकता है।इस विद्या मेँ लाभ अनेक है।लेखने बैठे तो रात से सुबह हो जाएगा।इस विद्या का साधना करने के लिए, अपने पर और अपने मंत्र साधना पर विश्वास होना जरुरी है ,बर्ना इसमेँ सफलता के स्थान पर विफलता हाथ लगता है।सुबह या रात्री मेँ स्नान करने बाद देवा दी देव महादेव को फुल और बेल पत्र दे कर पुजा करने के बाद सर्फ इस मंत्र को जाप करना है।21 दिन का साधना है। मंत्र-ॐ महामाया, माया यक्षिणी माया सिद्धि देही देही भगवान्नाज्ञापयासि ॐ ह्रीँ ह्रीँ नमः स्वाहा॥ प्रतिदिन दस हजार जाप करना है।साधना के अंत मेँ यक्षिणी दर्शन देगी और मनोकामना पूर्ण कर चली जाईगी।

Comments

Unknown said…
रवि किशन जी आपका दूसरा ब्लॉग ravikishan.blog.com नहीं चल रहा है
Unknown said…
Kay sadhna betar he



Unknown said…
Kay sadhna kar sakta he