विलासिनी यक्षिणी साधना

नदी तट पर बैठकर इस मंत्र का 51 हजार जाप किया जाये और इसके बाद घी और गुग्गल को मिलाकर इस मंत्र की दस हजार घी से हवन करेँ तो यक्षिणी प्रसन्न हो जाये। मंत्र-ॐ ह्रीँ दुरजाक्षिणी विलासिनी आगच्छ गच्छ ही प्रिये मेव कले स्वाहा॥

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